Shubham's Reviews > आषाढ़ का एक दिन

आषाढ़ का एक दिन by Mohan Rakesh
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it was amazing

कालिदास मल्लिका के लिए संपूर्ण व्यक्तित्व और एकाकार की भांति है तो मल्लिका कालिदास की एकमात्र प्रेरणा। "आषाढ़ का एक दिन" जिस तरह से बाहरी जीवन और आंतरिक विचारों को प्रस्तुत करता है वैसा नाटकीय रूपांतरण बहुत कम लेखों में मिलता है।

मल्लिका जिस तरह मेघों का इंतज़ार करती है, कोरे पृष्ठों को अपने हाथों से सीती है, ताकि जब वह कालिदास को ये रचना देगी और वह उन पृष्ठों पर काव्य लिखेगा तब उसे अनुभव होगा की मल्लिका भी कहीं उन पृष्ठों में है, उसका भी कुछ है। लेकिन शायद यह सब स्वप्न ही रह जाए....

वहीं कालिदास अभावपूर्ण जीवन से दूर प्रतिष्ठा और सम्मान के वातावरण में प्रवेश कर जाते हैं, शायद एक प्रतिशोध लेने के भावना से...
इसी अंतर्द्वंद्व से लड़ते, ख़ुद को विश्वास दिलाते हुए कि वही सब सच था, वे जब वापस अपनी जन्मभूमी पर आते हैं, अपनी सारी रचनाओं के प्राण, अपनी मल्लिका के पास, तब तक काफी कुछ बदल गया है।

स��री रचनाएं तो केवल कोरे पृष्ठ थे और मल्लिका के कोरे पृष्ठ अपने आप में पूरा काव्य!

मोहन राकेश जी ने कालिदास के जीवन का यह भाग इतने भावात्मक रूप से, इतनी गहराई से लिखा है कि मैं खुद को लिखने से रोक नहीं पाया।
ज़रूर पढ़ें!
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Reading Progress

March 30, 2023 – Started Reading
March 31, 2023 – Finished Reading
April 1, 2023 – Shelved

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